सुसंध्या ...
🌸😊
संघर्ष ही जीवन..
इंसान के रुप में हम दुनिया में आए हैं तो पक्की बात है कि कुछ अच्छे कर्म किए ही होंगे..वरना भगवान हमें चींटी भी तो बना सकता था..अब अच्छा जन्म हुआ है तो उसे सार्थक भी करना पड़ेगा..बस यहीं से शुरू होती है तकलीफों की पोटली..जरा-सी बारिश से जैसे हम घबरा जाते हैं,वैसे ही लड़ने योग्य परेशानी भी हमारे सिर चढ़कर बोलती है..हम डरे तो वह बात और डराती है..जबकि उससे लड़ना/संघर्ष है..और उसी से हम जीतेंगे..ऐसा नहीं कि हम बात समझते नहीं हैं..पर बस उस वक्त हार मान लेते हैं,जब संघर्ष ही हथियार होता है.. लगभग सभी ने देखा ही होगा कि, सागर/नदी में कश्तियाँ किनारे पर सबसे ज्यादा सुरक्षित होती है..तो क्या पानी में डूबने के डर से उन्हें किनारो पर खड़े ही रखना चाहिए?....जवाब होगा-नहीं..तो यही तो समझने की बात है कि हम कश्ती हैं और ज़िंदगी संघर्षों की नदी..समझना होगा कि कश्तियां किनारे पर सुरक्षित होना जानकर भी किनारों पर रहने के लिए नही होती हैं
..अपितु इन्हें लहरों पर चलने के लिए ही बनाया जाता है..यानि आपको बिना संघर्ष के जीवन में सफलता आसानी से नहीं मिलेगी..और मिली तो भी इसका महत्व नही..इसलिए किसी भी डर और संघर्ष से डरिए मत..उठिए,चलिए और तलाशिए जीत का विकल्प..तकलीफ को भगाईए..
हर क्षेत्र में है आपके लिए कामयाबी..बस शर्त यही है कि ,कश्ती बनकर लहरों से खेलिए..
✳✳✳✳✳✳✳✳✳
🌸आग्रह # बातें अच्छी लगें तो pls आप इन्हें आगे बढ़ाएं,क्योंकि ज्ञान फैलाने से बढ़ता है । ☘
---------------------------
😃 मुस्कुराईए ,यही तो जीवन है..😀
खुश रहिए,आपका दिन मंगलमय हो..
🌴🍄🌾🌴🍀♦🌲🍃🌺
आपका शुभेच्छु 🙏🌹
अजय जैन ' विकल्प '
[चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर ] ajayjainvikalp@gmail.com
indoreswadesh@gmail.com
9770067300
(🙏फेसबुक ,ब्लॉग ,पेज और शेयरचेट पर भी उपलब्ध..संदेश पर आपकी किसी भी प्रतिक्रिया के इंतजार में.. )🍂🌹🍂
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संघर्ष ही जीवन..
इंसान के रुप में हम दुनिया में आए हैं तो पक्की बात है कि कुछ अच्छे कर्म किए ही होंगे..वरना भगवान हमें चींटी भी तो बना सकता था..अब अच्छा जन्म हुआ है तो उसे सार्थक भी करना पड़ेगा..बस यहीं से शुरू होती है तकलीफों की पोटली..जरा-सी बारिश से जैसे हम घबरा जाते हैं,वैसे ही लड़ने योग्य परेशानी भी हमारे सिर चढ़कर बोलती है..हम डरे तो वह बात और डराती है..जबकि उससे लड़ना/संघर्ष है..और उसी से हम जीतेंगे..ऐसा नहीं कि हम बात समझते नहीं हैं..पर बस उस वक्त हार मान लेते हैं,जब संघर्ष ही हथियार होता है.. लगभग सभी ने देखा ही होगा कि, सागर/नदी में कश्तियाँ किनारे पर सबसे ज्यादा सुरक्षित होती है..तो क्या पानी में डूबने के डर से उन्हें किनारो पर खड़े ही रखना चाहिए?....जवाब होगा-नहीं..तो यही तो समझने की बात है कि हम कश्ती हैं और ज़िंदगी संघर्षों की नदी..समझना होगा कि कश्तियां किनारे पर सुरक्षित होना जानकर भी किनारों पर रहने के लिए नही होती हैं
..अपितु इन्हें लहरों पर चलने के लिए ही बनाया जाता है..यानि आपको बिना संघर्ष के जीवन में सफलता आसानी से नहीं मिलेगी..और मिली तो भी इसका महत्व नही..इसलिए किसी भी डर और संघर्ष से डरिए मत..उठिए,चलिए और तलाशिए जीत का विकल्प..तकलीफ को भगाईए..
हर क्षेत्र में है आपके लिए कामयाबी..बस शर्त यही है कि ,कश्ती बनकर लहरों से खेलिए..
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खुश रहिए,आपका दिन मंगलमय हो..
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अजय जैन ' विकल्प '
[चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर ] ajayjainvikalp@gmail.com
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