Wednesday 31 August 2016

संघर्ष...

सुसंध्या ...
🌸😊
संघर्ष ही जीवन..
इंसान के रुप में हम दुनिया में आए हैं तो पक्की बात है कि कुछ अच्छे कर्म किए ही होंगे..वरना भगवान हमें चींटी भी तो बना सकता था..अब अच्छा जन्म हुआ है तो उसे सार्थक भी करना पड़ेगा..बस यहीं से शुरू होती है तकलीफों की पोटली..जरा-सी बारिश से जैसे हम घबरा जाते हैं,वैसे ही लड़ने योग्य परेशानी भी हमारे सिर चढ़कर बोलती है..हम डरे तो वह बात और डराती है..जबकि उससे लड़ना/संघर्ष है..और उसी से हम जीतेंगे..ऐसा नहीं कि हम बात समझते नहीं हैं..पर बस उस वक्त हार मान  लेते हैं,जब संघर्ष ही हथियार होता है.. लगभग सभी ने देखा ही होगा कि, सागर/नदी में कश्तियाँ किनारे पर सबसे ज्यादा सुरक्षित होती है..तो क्या पानी में डूबने के डर से उन्हें किनारो पर खड़े ही रखना चाहिए?....जवाब होगा-नहीं..तो यही तो समझने की बात है कि हम कश्ती हैं और ज़िंदगी संघर्षों की नदी..समझना होगा कि कश्तियां किनारे पर सुरक्षित होना जानकर भी किनारों पर रहने के लिए नही होती हैं
..अपितु इन्हें लहरों पर चलने के लिए ही  बनाया जाता है..यानि आपको बिना संघर्ष के जीवन में सफलता आसानी से नहीं मिलेगी..और मिली तो भी इसका महत्व नही..इसलिए किसी भी डर और संघर्ष से डरिए मत..उठिए,चलिए और तलाशिए जीत का विकल्प..तकलीफ को भगाईए..
हर क्षेत्र में है आपके लिए कामयाबी..बस शर्त यही है कि ,कश्ती बनकर लहरों से खेलिए..
✳✳✳✳✳✳✳✳✳
🌸आग्रह # बातें अच्छी लगें तो pls आप इन्हें आगे बढ़ाएं,क्योंकि ज्ञान फैलाने से  बढ़ता है । ☘
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😃 मुस्कुराईए ,यही तो जीवन है..😀
खुश रहिए,आपका दिन मंगलमय हो..
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आपका शुभेच्छु 🙏🌹
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Monday 29 August 2016

सुसंध्या...

😊🌸सोमवार की राम -राम सा....
कुछ कड़वी बातें..
👏खुद की कमाई  से कम खर्च हो,
 ऐसी जिन्दगी बनाओ..
👏दिन में कम-से-कम 3
लोगों की प्रशंसा करो..
👏खुद की भूल स्वीकारने में
       कभी भी संकोच मत करो..
👏 किसी  के सपनों पर  हँसो मत..
👏 आपके पीछे खड़े व्यक्ति
     को भी कभी-कभी आगे
     जाने का मौका दो..
👏रोज हो सके तो सूरज को
       उगता हुए देखें..
👏खूब जरुरी हो तभी कोई
      चीज उधार लो..
👏किसी के पास  से कुछ जानना हो तो         विवेक से दो बार पूछो..
👏कर्ज और शत्रु को कभी बड़ा
   मत होने दो..
👏ईश्वर पर पूरा भरोसा रखो..
👏 प्रार्थना करना कभी मत भूलो,प्रार्थना में  अपार शक्ति होती है..
👏अपने काम  से मतलब रखो..
👏समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतू कामों  में  खर्च मत करो..
👏जो आपके पास है, उसी
     में खुश रहना सीखो..
👏बुराई कभी भी किसी की भी मत करो,
    क्योंकि बुराई नाव में  छेद समान है..       बुराई छोटी हो बड़ी,नाव तो डुबो
ही देती  है..
👏हमेशा सकारात्मक सोच रखो..
👏हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है ,बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..
👏 कोई काम छोटा नहीं होता,हर काम बड़ा होता है..जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो,अगर वह काम आप करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..
👏सफलता उनको ही मिलती है, जो कुछ
      करते हैं..
👏कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं, बल्कि कुछ करना पड़ता है....!

🌸आग्रह # बातें अच्छी लगें तो pls आप इन्हें आगे बढ़ाएं,क्योंकि ज्ञान फैलाने से  बढ़ता है । ☘
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Sunday 28 August 2016

सुसंध्या मित्रों..

रविवार की राम-राम मित्रों..😀🌸🙏🏻
एक नज़र...
🔶समय..
आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है.. क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (24 घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है..
 🔶सफलता..
दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं..क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते हैं ,जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते हैं..
🔶असंभव..
इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं..हम वो सब कर सकते हैं, जो हम सोच सकते हैं.. और हम वो सब सोच सकते हैं, जो आज तक हमने नहीं सोचा..
 🔶प्रसन्नता..
यह पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है..ये आप ही के कर्मों से आती है..
🔶हार जीत..
सफलता हमारा परिचय दुनिया को कराती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय कराती है..
🔶जीवन..
जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे..जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था..अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ..
 🔶विश्वास..
विश्वास में वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है.. विश्वास पत्थर को भगवान बना सकता है और अविश्वास भगवान के बनाए इंसान को भी पत्थर दिल बना सकता है..
🔶मेहनत..
हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं..अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देंगी..
(साभार )🌸🌹🍃☘
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Saturday 27 August 2016

बेटी....

सुसंध्या 😀 आदरणीय दोस्तों
'बेटी पढ़ाओ, दहेज मिटाओ'....
चौबे जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास.. नौकरी के लिए चौबे निश्चिन्त थे, कहीं- न-कहीं तो जुगाड़ लग ही जाएगी। बियाह कर देना चाहिए।
मिश्रा जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है.. मिश्रा भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।
सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया..पता चला,वैसे तो रेट 5 से 6 लाख का चल रहा है...पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट 3 से 4 लाख का है..सयानों ने सौदा साढ़े 3 में तय करा दिया..बात तय हुए अभी 1 माह भी नही हुआ था, कि कमीशन से पत्र आया कि अशोक का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हो गया है..
चौबे- साले, नीच, कमीने... हरामजादे हैं कमीशन वाले...!
चौबन - लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है,नाराज क्यों होते हैं?
चौबे- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी..यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे..डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता..
चौबन- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी..मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने..हुल-हुलाकर सम्बन्ध तय कर दिया..मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिए, वे समझदार आदमी हैं..
'प्रिय मिश्रा जी, अत्र कुशलं तत्रास्तु!
आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है.. विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ..इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है..आप स्वयं समझदार हैं, नीति व मर्यादा जानते हैं..धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है..मनुष्य का क्या है,जीता मरता रहता है.. पैसा हाथ का मैल है.. मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है..मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए.. और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे..'
मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा-
'प्रिय चौबे जी, आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था..अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं..आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया है..अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है,वह अवश्य तरक्की करेगा..
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन आईएएस के लिए हो गया है..आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी..मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है..(साभार )🌸🌹🍃☘
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Thursday 25 August 2016

सुसंध्या...


मित्रों 😊🙏 आपकी जय हो..
कान्हा के किरदार का कोई और न छोर,
इक पल वो जगदीश हैं,
इक पल माखनचोर...
प्रभु श्री कृष्ण आपके जीवन में सदैव खुशियों के दीप जलाए रखें..
सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं..
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Tuesday 23 August 2016

सुसंध्या...

😊सुसंध्या दोस्तों...
..
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Monday 22 August 2016

जीवन....

🌸🙏🏻😊सुसंध्या  दोस्तों
जीवन मंत्र...
एक परेशान औरत बहुत पहुंचे हुए मुनि के पास गई.. बोली- "मुनि श्री" कोई ऐसा मन्त्र लिख दें कि मेरे बच्चे रात को भूख से रोया न करें...।
मुनिश्री ने कुछ लिख दिया..और कहा-इसे तब खोलना ,जब तुम्हे लगे कि अब बुरा वक़्त बीत गया है..कुछ ही दिन बाद किसी ने पैसों से भरा थैला घर के आँगन में फेंका.. थैले से एक पर्चा निकला, जिस पर लिखा था -"कोई कारोबार कर लें.."इस बात पर अमल करते हुए उस औरत के पति ने दुकान किराए पर ले ली.. कारोबार में बरकत हुई, और दुकान बढ़ती गईं..पैसों की बारिश-सी हो गई..पुराने संदूक़ में एक दिन औरत की नज़र मुनि श्री के लिखे कागज़ पर पड़ी.."न जाने ऐसा क्या लिखा है इसमें ?"असमंजस में उसने कागज़  खोल डाला..लिखा था -"जब पैसों की तंगी ख़त्म हो जाए, तो सारा पैसा तिजोरी में छिपाने की बजाय कुछ पैसे ऐसे घर में डाल देना, जहाँ से रात को बच्चों के रोने की आवाज़ें आती हों...।"
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Sunday 21 August 2016

सुसंध्या...

सुसंध्या मित्रों...😊
कभी हँसते हुए छोड़ देती
है ये ज़िन्दगी..
कभी रोते हुए छोड़ देती है
ये ज़िन्दगी..
न पूर्ण विराम सुख में..
न पूर्ण विराम दु:ख में..
बस जहाँ देखो वहाँ
'अल्प विराम' छोड़ देती है ये जिंदगी..।
प्यार की डोर सजाए रखो,
दिल को दिल से मिलाए रखो..
क्या लेकर जाना है साथ,
इस दुनिया से..
मीठे बोल-अच्छे व्यवहार से
रिश्तों को बनाए रखो..
😃 बस यूँ ही मुस्कुराईए  😀
आपका हर दिन मंगलमय हो..
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Saturday 20 August 2016

साथ चलिए..

😀नमस्ते  मित्रों..
साथ चलिए...
जीवन के सफर में कई बार हम हठी होकर / अड़कर नुकसान कर लेते हैं..पर झुकते/बदलते नहीं हैं..जबकि वक्त को देखकर आधार बदलना अच्छी जीत भी हो सकती है..मुसीबत के समय को देखकर भी अगर हम अपना व्यवहार बदलना नहीं सीख पाए तो रिश्ते/व्यवस्था/व्यवसाय में हानि तय है..भूलने की बात नहीं है कि जिंदगी यदि भँवर है, तो हठी का डूबना पक्का है..इतिहास गवाह है कि अड़ने वाले 99% टूटे ही हैं..यानि ख़त्म..आगे कुछ नहीं..पर जो खुद को एडजेस्ट (समायोजित) कर गए,वे जी गए..सीधी-सी बात समझनी होगी कि धार को देखकर ही नदी में पतवार चलाई जाती है..बदलना सीखिए,इसलिए भी कि यह कब सम्मान से अहंकार में बदल जाता है,पता ही नहीं लगता है..याद रखने की बात है मित्रों,कि अहंकार का अँधेरा कितना भी घना क्यों न हो, उसे तोड़ने के लिए केवल छोटा-सा दीपक ही पर्याप्त होता है..अँधेरी सुरंग में रोशनी की किरण मात्र भी सफलता की कहानी गढ़ सकती है तो फ़िर घमंड/हठ क्यों..सही &योग्य होकर भी समय/हालात के साथ चलिए..कल जीत रूपी विकल्प में आपका भी वक्त आएगा..
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Thursday 18 August 2016

पदक...

🚺 सुप्रभात मित्रों ...🌸😊
पदक से पहले..
हमें तो पदक से पहले साक्षी मलिक के केवल ओलम्पिक में पहुंच जाने पर ही खुश होकर नाचना चाहिए..इसलिए कि वो उस हरियाणा में पैदा हुई ,जहाँ अभी भी लड़कियाँ दोयम दर्जे पर हैं..जहाँ सम्मान /मान/बेटे को ही सब माना जाता है..जहाँ हर 1000 के पीछे 130 लड़कियों को मार दिया जाता हो,उस सूबे से साक्षी का रिओ में चले जाना ही क्या आश्चर्यजनक नहीं लगता हमें..काबिले गौर बात यह भी है कि इसी राज्य में लैंगिक अनुपात देश में सबसे अधिक  ख़राब है..शायद दुनिया भर में भी सबसे ख़राब..यानि यह लड़कियों के लिए नर्क/सबसे ख़तरनाक जगह है..इसलिए विपरीत हालातों वाले ऐसे राज्य की  साक्षी का यह काँस्य पदक भारत के लिए गोल्ड मैडल से भी बढ़कर है..हर भारतीय को इस पदक के लिए साक्षी के साथ उनके पालकों का भी भी आभारी होना चाहिए कि उन्होंने इसे दुनिया देखने के लिए जीने का विकल्प दिया..और पाल-पोसकर ओलम्पिक ( रिओ )तक जीत का यकीन भी पाला..बधाई..सिंधु और दीपा करमाकर को भी..यह बेटियाँ हैं भारत की जीत की साक्षी..
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रिश्ते सहेजिए...

सुसंध्या 😊 दोस्तों..
रिश्ते सहेजिए...
रिश्ता कोई भी हो,कम हो /अधिक गहरा हो,यदि उनमें अपनापन नहीं है तो उनका होना भी नहीं होने जैसा ही होता है..वास्तव में रिश्ते सम्भाल (देखरेख )मांगते हैं..चिन्ता कर ली तो आप सुखी/खुश..नहीं तो दोनों ही नाराज़..कोई किसी से जीवनभर शिकायत ही करता रहता है तो कोई अपनी ओर से निभा-निभाकर पतला हो रहा है.. पर सामने वाला इसे सहेजना तो दूर, महसूस ही नहीं कर रहा..ऐसे में रिश्ते के धागे पहले कमजोर होते हैं..फ़िर टूट जाते हैं..आपने सामने वाले के न चाहने पर भी इन्हें जबरन सहेजा तो,आगे झगड़ा होगा ही..पर दोनों ने ही फिक्र नहीं की तो भी नुकसान है..भाई ,मित्र ,पिता और माँ के साथ सम्बन्धों की डोर हो या प्यारी बहिन के साथ..रिश्तों में गम्भीरता ,मिठास/ प्रेम  और भरोसा तभी आएगा ,जब आप उसमें मेहनत/विश्वास का पानी डालेंगे..आज जब आप रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाएं तो उस रिश्ते को तो पूरा सहेजिए..बहिन को कभी भी अहसास नहीं हो कि ये मात्र भाई के घर आने का मौका है..उसे ज़माने की तकलीफ से आपकी मदद ही नही चाहिए ,बल्कि आपका प्यार और कई बार तो केवल साथ की ही ज्यादा ज़रूरत होती है..हर सम्बन्ध में हमें हमेशा याद रखना पड़ेगा कि कई सम्बन्धों में कुछ ही खास बनते हैं..तो हर रिश्ता लम्बा नहीं चलता है..आप जितना करेंगे ,उससे कम ही लौटेगा..यानि दिल के करीब कुछ ही रिश्ते आते हैं..जैसे 2-3 बहनों में अपनी सबसे एक जैसी पटरी नहीं बैठती है..मान/प्रेम सबसे होता है ,पर कोई 1 बहन ही हमारे लिए 'प्यारी बहनिया' होती है..ऐसे ही एकाध दोस्त भी..इसी से हम बहुत अधिक घुले होते हैं..जैसे माँ से..कोशिश कीजिए कि भाई-बहन हों तो अपनेपन को जिंदा रखें..समझें कि बहन के लिए भाई और भाई के लिए बहन ही सबसे बड़ा सहारा है..भाई और बहन के रिश्ते की ही यह भी खासियत है कि कोई बात न होने पर भी लड़ाई करने को मन करे तो भाई की टांग खींचने और बहन की  चोटी खराब करने से अच्छा कुछ नहीं होता  है..याद रखिए कि मम्मी के गुस्से से बचाने और कई बार मम्मी से पिटवाने वाले भी प्यारे भाई-बहन ही होते हैं..याद तो यह भी रखने की बात है कि ,जेब खर्च खत्म होने पर बहन या भाई ही तो पैसे देते हैं..ऐसे ही जब जिंदगी की नई शुरुआत होती है तो सबसे बड़ा/बड़ी मददगार भाई/बहन/दोस्त ही तो है..ये ऐसा प्यारा रिश्ता है,जहां चिंता है,रक्षा है,मज़बूती का विकल्प है और जिंदगीभर का साथ भी है..पर सम्भालना तो इसे भी बेहद आवश्यक है..वरना बिखरते हुए देर नहीं लगती है..इस रक्षाबंधन पर प्रेमभरा यही अनुरोध कि हर कड़ी को जोड़े रहिए..प्रेम की जंजीर ही जीवन है.. आपको त्यौहार की शुभकामनाएँ..🌸🙏🏻
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रिश्ते सहेजिए...

सुसंध्या 😊 दोस्तों..
रिश्ते सहेजिए...
रिश्ता कोई भी हो,कम हो /अधिक गहरा हो,यदि उनमें अपनापन नहीं है तो उनका होना भी नहीं होने जैसा ही होता है..वास्तव में रिश्ते सम्भाल (देखरेख )मांगते हैं..चिन्ता कर ली तो आप सुखी/खुश..नहीं तो दोनों ही नाराज़..कोई किसी से जीवनभर शिकायत ही करता रहता है तो कोई अपनी ओर से निभा-निभाकर पतला हो रहा है.. पर सामने वाला इसे सहेजना तो दूर, महसूस ही नहीं कर रहा..ऐसे में रिश्ते के धागे पहले कमजोर होते हैं..फ़िर टूट जाते हैं..आपने सामने वाले के न चाहने पर भी इन्हें जबरन सहेजा तो,आगे झगड़ा होगा ही..पर दोनों ने ही फिक्र नहीं की तो भी नुकसान है..भाई ,मित्र ,पिता और माँ के साथ सम्बन्धों की डोर हो या प्यारी बहिन के साथ..रिश्तों में गम्भीरता ,मिठास/ प्रेम  और भरोसा तभी आएगा ,जब आप उसमें मेहनत/विश्वास का पानी डालेंगे..आज जब आप रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाएं तो उस रिश्ते को तो पूरा सहेजिए..बहिन को कभी भी अहसास नहीं हो कि ये मात्र भाई के घर आने का मौका है..उसे ज़माने की तकलीफ से आपकी मदद ही नही चाहिए ,बल्कि आपका प्यार और कई बार तो केवल साथ की ही ज्यादा ज़रूरत होती है..हर सम्बन्ध में हमें हमेशा याद रखना पड़ेगा कि कई सम्बन्धों में कुछ ही खास बनते हैं..तो हर रिश्ता लम्बा नहीं चलता है..आप जितना करेंगे ,उससे कम ही लौटेगा..यानि दिल के करीब कुछ ही रिश्ते आते हैं..जैसे 2-3 बहनों में अपनी सबसे एक जैसी पटरी नहीं बैठती है..मान/प्रेम सबसे होता है ,पर कोई 1 बहन ही हमारे लिए 'प्यारी बहनिया' होती है..ऐसे ही एकाध दोस्त भी..इसी से हम बहुत अधिक घुले होते हैं..जैसे माँ से..कोशिश कीजिए कि भाई-बहन हों तो अपनेपन को जिंदा रखें..समझें कि बहन के लिए भाई और भाई के लिए बहन ही सबसे बड़ा सहारा है..भाई और बहन के रिश्ते की ही यह भी खासियत है कि कोई बात न होने पर भी लड़ाई करने को मन करे तो भाई की टांग खींचने और बहन की  चोटी खराब करने से अच्छा कुछ नहीं होता  है..याद रखिए कि मम्मी के गुस्से से बचाने और कई बार मम्मी से पिटवाने वाले भी प्यारे भाई-बहन ही होते हैं..याद तो यह भी रखने की बात है कि ,जेब खर्च खत्म होने पर बहन या भाई ही तो पैसे देते हैं..ऐसे ही जब जिंदगी की नई शुरुआत होती है तो सबसे बड़ा/बड़ी मददगार भाई/बहन/दोस्त ही तो है..ये ऐसा प्यारा रिश्ता है,जहां चिंता है,रक्षा है,मज़बूती का विकल्प है और जिंदगीभर का साथ भी है..पर सम्भालना तो इसे भी बेहद आवश्यक है..वरना बिखरते हुए देर नहीं लगती है..इस रक्षाबंधन पर प्रेमभरा यही अनुरोध कि हर कड़ी को जोड़े रहिए..प्रेम की जंजीर ही जीवन है.. आपको त्यौहार की शुभकामनाएँ..🌸🙏🏻
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Wednesday 17 August 2016

सुसंध्या...
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Tuesday 16 August 2016

माँ-बाप...

😊सुसंध्या मित्रों  ..💐
*माँ-बाप...*
माता -पिता के बिना घर कैसा*
            होता है ?
अगर इसका
            अनुभव करना है तो...
     एक दिन अपने अंगूठे
            के बिना  सिर्फ अपनी
            उंगलियों  से सारे काम
            करके देखिए ....
     माता-पिता की कीमत पता चल जाएगी...
🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻
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Friday 12 August 2016

सकारात्मक...

😀सुसंध्या माननीय दोस्तों 💐
सकारात्मक रहिए..
रोजमर्रा के काम में अनेक तकलीफें थी ,हैं और रहेंगी भी..तो क्या हम सांस लेना छोड़ दें.नहीं ,कतई नहीं..हर तकलीफ यानि अँधेरे में ही रोशनी यानि बेहतर होता है..अगर तालाब में 'कीचड़' ही देखते रहेंगे तो , यहीं खिले हुए 'कमल' की सुंदरता नहीं देख पाएँगे..कमी की बात तो ऐसी है कि , लोग तो खूबसूरत /शीतल 'चाँद' में भी दाग देख लेते हैं..फ़िर भी उसे देखना बंद नहीं करेंगे..बात बस इतनी ही है कि ,  हम जीवन में हमेशा प्रशंसक बनेंगे तो ज्यादा पाएँगे.. प्रयत्न कीजिए कि सकारात्मकता के साथ प्रशंसक की भूमिका निभाएँ..निंदक की नहीं..क्योंकि *प्रशंसा* हमेशा  *सकारात्मक ऊर्जा* को जन्म देती है, और *निन्दा*  *नकारात्मक* सोच की ओर ले जाती है..
😃 बस यूँ ही मुस्कुराईए  😀
आपका हर दिन मंगलमय हो..
🌴🍄🌾🌴🍀♦🌲🍃🌺
आपका शुभेच्छु 🙏🌹
अजय जैन ' विकल्प '
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Thursday 11 August 2016

जरा-से...

🌸सुसंध्या आदरणीय मित्रों 🙏🏻
जरा -से संवेदनशील तो बनिए....
मोहन काका डाक विभाग के कर्मचारी थे.. बरसों से वे माधोपुर और आस पास के गाँव में चिट्ठियां बांटने का काम करते थे..
एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली..पता माधोपुर के करीब का ही था..लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी..रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठियां बांटने निकल पड़े..सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पते की ओर बढ़ने लगे..
दरवाजे पर पहुँच कर उन्होंने आवाज़ दी- “पोस्टमैन!”..अन्दर से किसी लड़की की आवाज़ आई-“काका, वहीं दरवाजे के नीचे से चिट्ठी डाल दीजिए”..
“अजीब लड़की है, मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूँ और ये महारानी दरवाजे तक भी नहीं निकल सकतीं !”, काका ने मन ही मन सोचा..
“बाहर आइए ! रजिस्ट्री आई है, हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी!”, काका खीजते हुए बोले..
“अभी आई ”, अन्दर से आवाज़ आई..
काका इंतज़ार करने लगे..जब 2 मिनट बाद भी कोई नहीं आया तो उनके सब्र का बाँध टूटने लगा..
“यही काम नहीं है मेरे पास, जल्दी करिए और भी चिट्ठियां पहुंचानी है”,.. ऐसा कहकर काका दरवाज़ा पीटने लगे..
कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला..सामने का दृश्य देख कर काका चौंक गए.. 12-13 साल की लड़की थी..जिसके दोनों पैर कटे हुए थे.. उन्हें अपनी अधीरता पर शर्मिंदगी हो रही थी..लड़की बोली-“क्षमा कीजिएगा
 ,मैंने आने में देर लगा दी, बताइए हस्ताक्षर कहाँ करने हैं?”..
काका ने हस्ताक्षर कराए और वहां से चले गए..इस घटना के आठ-दस दिन बाद काका को फिर उसी पते की चिट्ठी मिली.. इस बार भी सब जगह चिट्ठियां पहुँचाने के बाद वे उस घर के सामने पहुंचे..
“चिट्ठी आई है, हस्ताक्षर की भी ज़रूरत नहीं है…नीचे से डाल दूँ।”, काका बोले..
“नहीं-नहीं, रुकिए मैं अभी आई”, लड़की भीतर से चिल्लाई..कुछ देर बाद दरवाजा खुला..लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ डिब्बा था..“काका लाइए मेरी चिट्ठी, और लीजिये अपना तोहफ़ा”..लड़की मुस्कुराते हुए बोली..
“इसकी क्या ज़रूरत है बेटा”, काका संकोचवश उपहार लेते हुए बोले..लड़की बोली, “बस ऐसे ही काका…आप इसे ले जाइए और घर जाकर ही खोलिएगा”..
काका डिब्बा लेकर घर की ओर बढ़ चले.. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि डिब्बे में क्या होगा!..पहुँचते ही उन्होंने डिब्बा खोला, तो तोहफ़ा देखते ही उनकी आँखों से आंसू टपकने लगे..डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थीं..काका बरसों से नंगे पाँव ही चिट्ठियां बांटा करते थे.. आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था..ये उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफ़ा था..काका चप्पलें कलेजे से लगाकर रोने लगे..उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था- बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दीं पर वे उसे पैर कहाँ से लाकर देंगे?..
मित्र ,🙏🏻कहानी का सार यह है कि संवेदनशीलता (sensitivity )बहुत बड़ा मानवीय गुण है..दूसरों के दुखों को महसूस करना और उसे कम करने का प्रयास करना एक महान काम है.. जिस बच्ची के खुद के पैर न हों ,उसकी दूसरों के पैरों के प्रति संवेदनशीलता हमें बहुत बड़ा सन्देश देती है..आग्रह कि हम भी अपने समाज, अपने आस-पड़ोस, अपने यार-मित्रों-अजनबियों सभी के प्रति संवेदनशील बनें…हम किसी के नंगे पाँव की चप्पलें बनें और दुःख से भरी इस दुनिया में कुछ खुशियाँ फैलाएं!😊..
😃 बस यूँ ही मुस्कुराईए  😀
आपका हर दिन मंगलमय हो..
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अजय जैन ' विकल्प '
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Wednesday 10 August 2016

आदरणीय मित्रों 🌷🌞
आपको आज की सुसंध्या ..
'सुई और कैंची...' सुंदर सीख...
एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण दर्जी का बेटा अपने पापा की दुकान पर चला गया..वहाँ जाकर बड़े ध्यान से पापा को काम करते हुए देखने लगा.. उसने देखा कि पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं..फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं..जब उसने ऐसा 4-5 बार देखा तो रहा नहीं गया..उसने पापा से कहा-वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?
पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं..आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं..और सुई से कपड़ा सीने के बाद उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?  जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानो उसको  ज़िन्दगी का सार समझा दिया..
उत्तर था-'बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का..काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है,परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर..यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं..
⭐कहानी की छोटी-सी, पर गहरी सीख यही है कि, अगर जीवन में ऊँचाइयों को छूना हो तो, जोड़ने वाले बनिए, तोड़ने वाले नहीं..
😃 बस यूँ ही मुस्कुराईए  😀
आपका हर दिन मंगलमय हो..
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Tuesday 9 August 2016

मदद कीजिए..

💥सुसंध्या माननीय मित्रों.. 🌸
मदद कीजिए,किस्मत बदलिए...
जिंदगी में दुःख /सुख का पहिया निरंतर चलता रहता है..कई बार हमें भी दूसरों की मदद लगी होगी ,लगेगी और भविष्य में भी ज़रूरत पड़नी ही है..ऐसे ही दूसरे भी हमसे सहयोग के लिए उम्मीद रखते हैं..पर हम इससे अलग ही चलते हैं..यानि बच निकलते हैं..आपने अक्सर देखा होगा कि ,दुनिया को दिखाने के लिए मर जाने वाले इंसान को कन्धा देना बड़ा ज़रूरी कहा जाता है..यानि दिमाग को इसकी समझ है..ये पुण्य है..पर जिन्दा आदमी को सहारा देने से यही दुनिया/लोग
कतराती है..अब तो जहाँ उचित/ज़रूरी हो,वहाँ भी सहयोग से बच निकलने की हमारी आदत ही बन गई है..जबकि जरूरत में मदद करनी ही चाहिए..याद रखिए कि किसी की सहायता में आपकी किस्मत भी बदल सकती है..जब वो खुश होकर आपको दुआ देगा..तो ईश्वर भी आपकी सोचेगा ही.. क्या पता, कब किसकी दुआ में आपके किस्मत के बंद ताले की चाबी मिल जाए..यह भी मत भूलिएगा कि
*जो इन्सान खुद के लिए जीता है, उसका एक दिन "मरण" होता है..
परन्तु जो इन्सान 'दूसरों' के लिए जीता है, उसका हमेशा "स्मरण" होता है..*
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Sunday 7 August 2016

बस दोस्ती..

सुसंध्या मित्रों🌸😀
बस दोस्ती..
👫जीवन क्या है...इसका जवाब यही है कि संसार में आने के बाद मनुष्य मात्र दो ही सम्बन्ध स्वयं चुनता है-मित्रता और जीवनसाथी का..सारे सम्बन्धों में मोहमाया से परे मित्रता का नि:स्वार्थ सम्बन्ध आज भी सर्वोपरि है..दिलदार यानि दोस्ती का रिश्ता  सम्बन्ध खून से नहीं दिल से ही से चलता है..भले ही कोई कितना भी दिमाग लगाए.. दोस्ती में सच्चे /अच्छे दोस्त हमारे जीवन की बगिया क सुंदर फ़ूल होते हैं..इनकी  मित्रता की महक से ही  हम महकते हैं..केवल इसी रिश्ते की यह जड़ता है कि इसमें कोई धर्म-जाति/लड़का-लड़की /छोटा -बड़ा नहीं होता..इसमें अपरिचित भी सहजता से जुड़ जाते /बँध जाते हैं..सच्ची दोस्ती बड़ी मुश्किल से मिलती /चलती है ,इसलिए इसे हर प्रयास से ख़ून के रिश्ते- सा निभाईए.. वक्त दीजिए ,विश्वास रखिए..इसी आग्रह के साथ आप मित्रों को 'मित्रता दिवस' की अनन्त शुभकामनाएँ.. मेरा अपना बनने के लिए आपका दिल से शुक्रिया..आपका साथी..आपका हर दिन मंगलमय हो..
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Saturday 6 August 2016

मन की मस्ती...

माननीय सुसंध्या ..🌷😀💥
मन की मस्ती..
बारिश पड़े तो भागिए नहीं.....छत नहीं खोजिए.... छाते कभी-कभार बंद रखिए...किस बात का डर है...? भीग जाएंगे न....?तो क्या हुआ...पिघलेंगे नहीं...फिर से सूख जाएंगे...
तेजाब नहीं बरस रहा है...आपकी 799 वाली टी-शर्ट भी सूख जाएगी...ब्रांड भी उसका Levis से Lebis नहीं हो जाएगा.......मोबाइल पालीथिन में कस के रख लीजिए....सड़क साफ़ है...कोई नहीं आएगा.....उस स्ट्रीट लैम्प की पीली रौशनी में डिस्को करती बूंदों को देखिए....थोड़ा धीरे चलिए.....जल्दी पहुंच के भी क्या बदल जाना है...बारिश बदलाव है... मौसम का.. मन का... कल्पनाओं का...और लाइफ के गियर का... दिमाग से दिल की तरफ...सब धुल रहा है... प्रकृति सब कुछ धो रही है....याद कीजिए....वो कागज़ की नाव, कॅालेज/कोचिंग में भीगे सिर आए वो लड़की-लड़के..बारिश में जबरदस्ती नाचने को खींच कर ले गए दिलदार दोस्त....सब चलते-चलते याद कीजिए.....दुहराना आसान नहीं होता... दुहराना चाहिए भी नहीं...लेकिन सहेजा तो जा ही सकता है....ताकि ऐसी किसी बारिश में चलते-चलते सोच के मुस्कुराया भी जा सके...ज़ुकाम से मत डरिए.....दवा से सही हो जाएगा....बारिश से डरेंगे तो फिर ज़ुकाम आपका महंगा वाला शावर भी ठीक नहीं कर पाएगा..और वैसे भी.. मैंने शावर में सिर्फ लोगों को रोते सुना है... मुस्कुराते नहीं..क्योंकि  उनका गाना भी रोने से कम नहीं होता है...बारिश आई है.....थोड़ा चल लीजिए.....थोड़ा भीग लीजिए....खुद से मिल लीजिए...थोड़ा मुस्कुरा भी लीजिए...क्योंकि बारिश चन्द दिनों के लिए आई है...जैसे सावन में बिटिया घर आई हो....चली जाएगी वापस...फिर न रोइएगा कि अब कब आएगी...बारिश हो रही है....उसके सहारे कुछ पल अपने लिए भी जी लेने की कोशिश कर लीजिए....याद रखिए कि मन की मस्ती के आगे कुछ भी कीमती नहीं..और कीमत चुकाकर भी बारिश का कोई विकल्प नही है आपके पास.. 👏
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Monday 1 August 2016

बस 2 मिनट...

🌞सुसंध्या आदरणीय 🙏😊🌻
# बस 2✌ मिनट...
एक युवक ने विवाह के 2 साल बाद
परदेस जाकर व्यापार करने की
इच्छा पिता से कही..पिता ने स्वीकृति दी तो वह गर्भवती पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया..परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और
वह धनी सेठ बन गया..17 वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई..और वापस घर लौटने की इच्छा हुई..पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी..और जहाज में बैठ गया..उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी मन से बैठा था..सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो
उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है..मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर,कोई लेने को तैयार नहीं है..सेठ ने सोचा -'इस देश में मैने बहुत धन कमाया है,और यह मेरी कर्मभूमि है,
इसका मान रखना चाहिए !'उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई..उस व्यक्ति ने कहा-मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं हैं..
सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था..
लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए
500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी..
व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया-
कोई भी कार्य करने से पहले 2 मिनट
रूककर सोच लेना..सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया..
कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय
सेठ अपने नगर  पहुँचा..उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य का उपहार दूँ..घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया
तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के
नीचे की जमीन खिसक गई..पलंग पर उसकी पत्नी के पास युवक सोया हुआ था..वह अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि
मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ है..
दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ..और क्रोध में तलवार निकाल ली..
वार करने ही जा रहा था कि उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र
याद आया- कोई भी कार्य करने से
पहले 2 मिनट सोच लेना..वह सोचने के लिए रूका..तलवार पीछे खींची तो बर्तन से टकरा गई..बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई..जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी,वह ख़ुश हो गई और बोली-आपके बिना जीवन सूना सूना था..इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले,
यह मैं ही जानती हूँ..सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था..पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग ,
तेरे पिता आए हैं..युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका, माथे की पगड़ी गिर गई..उसके लम्बे बाल बिखर गए..सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है..पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए,इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान पालन पोषण और संस्कार दिए हैं..यह सुनकर सेठ की आँखों से अश्रुधारा बह निकली..पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि- यदि आज मैंने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता,तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता..मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता..ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा लग रहा था,लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं..'ज्ञान तो अनमोल है '..
🙏🌷कहानी का सार यही  है कि जीवन के 2 मिनट जो दुःखों से बचाकर
सुख की बरसात कर सकते हैं ।
वे हैं - 'क्रोध के 2 मिनट'..
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क्या पता आपका एक शेयर किसी को
उसके क्रोध पर अंकुश रखने के लिए
प्रेरित कर जाए..
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