Sunday 29 January 2017
Saturday 28 January 2017
मातृभाषा...
कृपया ,इसे आपके मित्रों-परिचितों के ग्रुप में चलाएं..🙏
🙏सम्मानीय भाषा सारथी,
सादर वन्दे..
अनुपम पहल..विविध भाषाओं के इस विशाल सागर में 'मातृभाषा', साहित्य के संप्रेषण के लिए उपलब्ध कराया जा रहा अनूठा मंच है। सहयोग की भावना के साथ साहित्य के इस ऑनलाइन मंच में सभी नवोदित व स्थापित लेखकों का ह्रदय से स्वागत है। यदि आप कहानी,लघुकथा,लेख, उपन्यास,नाटक,संस्मरण,डायरी आलोचना,निबन्ध, व्यंग्य,कविता,आत्मकथा,समालोचना,मुक्तक,ग़ज़ल, नज़्म,गीत या अन्य किसी भी विधा में लेखन कार्य करते हैं तो 'मातृभाषा' में अपनी रचनाओं के संकलन हेतु आपका स्वागत है। हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार और एक स्थान पर सभी महत्वपूर्ण विषयों पर सामग्री संकलन ही हमारा मूल उद्देश्य है, जो आपके सम्पूर्ण लेखकीय कार्य को संजोकर हमेशा के लिए सुरक्षित कर सकता है। इस उद्देश्य की दिशा में आपकी रचनाएँ और आलेख आदि अपेक्षित हैं। आप रचनाएँ
मेल भी कर सकते हैं या व्हाटसअप पर भी भेज सकते हैं।
धन्यवाद..
✍अजय जैन 'विकल्प'
*संस्थापक- मातृभाषा.कॉम*
*समूह सम्पादक- खबर हलचल न्यूज*
+91-9770067300
✍अर्पण जैन 'अविचल'
*सह संस्थापक- मातृभाषा. कॉम*
*सम्पादक- खबर हलचल न्यूज*
+91-9893877455
# मातृभाषा. कॉम
Matrubhashaa@gmail.com
www.matrubhashaa.com
-----------------------
साथियों ,इस संदेश को अपने सभी समूहों में प्रेषित कीजिए..बहुत महत्वाकांक्षी प्रकल्प है,जिसमें आप सबका सहयोग आवश्यक है..आपके चित्र,परिचय(about you) ,सम्पर्क नम्बर और ई-मेल आईडी सहित आपकी अलग -अलग विषय पर लिखी हुई रचनाएँ भेजकर हिन्दी भाषा कॊ सहेजने के इस आंदोलन में सहभागी अवश्य बनिए..एक बार
www.matrubhashaa.com अनुरोध..🙏
🙏सम्मानीय भाषा सारथी,
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अनुपम पहल..विविध भाषाओं के इस विशाल सागर में 'मातृभाषा', साहित्य के संप्रेषण के लिए उपलब्ध कराया जा रहा अनूठा मंच है। सहयोग की भावना के साथ साहित्य के इस ऑनलाइन मंच में सभी नवोदित व स्थापित लेखकों का ह्रदय से स्वागत है। यदि आप कहानी,लघुकथा,लेख, उपन्यास,नाटक,संस्मरण,डायरी आलोचना,निबन्ध, व्यंग्य,कविता,आत्मकथा,समालोचना,मुक्तक,ग़ज़ल, नज़्म,गीत या अन्य किसी भी विधा में लेखन कार्य करते हैं तो 'मातृभाषा' में अपनी रचनाओं के संकलन हेतु आपका स्वागत है। हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार और एक स्थान पर सभी महत्वपूर्ण विषयों पर सामग्री संकलन ही हमारा मूल उद्देश्य है, जो आपके सम्पूर्ण लेखकीय कार्य को संजोकर हमेशा के लिए सुरक्षित कर सकता है। इस उद्देश्य की दिशा में आपकी रचनाएँ और आलेख आदि अपेक्षित हैं। आप रचनाएँ
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✍अजय जैन 'विकल्प'
*संस्थापक- मातृभाषा.कॉम*
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✍अर्पण जैन 'अविचल'
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Thursday 26 January 2017
Wednesday 25 January 2017
Tuesday 24 January 2017
Monday 23 January 2017
Friday 20 January 2017
Thursday 19 January 2017
*अच्छी भाषा का असर...* suprabhat...
🌞💐शुभप्रभातम आदरणीय दोस्तों 💐🙏
*अच्छी भाषा का असर...*
एक अंधा लड़का,बड़े शहर में इमारत की सीढ़ियों पर बैठा था..उसके पैरों के पास एक टोपी रखी थी और पास ही एक बोर्ड रखा था,जिस पर लिखा था-'मैं अंधा हूँ, मेरी मदद करो!' टोपी में केवल कुछ सिक्के थे...वहाँ से गुजरता एक आदमी यह देखकर रुका..उसने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले और टोपी में डाल दिए..फिर उसने उस बोर्ड को पलटकर कुछ शब्द लिखे और वहाँ से चला गया..उसने बोर्ड को पलट दिया था जिससे कि लोग वह पढ़ें जो उसने लिखा था..जल्द ही टोपी भरनी शुरू हो गई..अधिक से अधिक लोग अब उस अंधे लड़के को पैसे दे रहे थे..दोपहर को बोर्ड बदलने वाला आदमी फिर वहाँ आया..वह यह देखने के लिए आया था उसके शब्दों का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?..लड़के ने उसके क़दमों की आहट पहचान ली और पूछा-'आप सुबह मेरे बोर्ड को बदल कर गए थे? आपने बोर्ड पर क्या लिखा था?'उस आदमी ने कहा-मैंने भी सत्य ही लिखा था,मग़र तुम्हारी बात को मैंने एक अलग तरीके से लिखा:-'आज एक खूबसूरत दिन है और मैं इसे नहीं देख सकता...!'
आपको क्या लगता है? पहले वाले शब्द और बाद वाले शब्द, एक ही बात कह रहे थे?...बेशक दोनों संकेत लोगों को बता रहे थे कि लड़का अंधा था...लेकिन पहला संकेत बस इतना बता रहा था कि वह लड़का अंधा है..
जबकि दूसरा संकेत यह बता रहा था कि वे कितने भाग्यशाली हैं कि वे अंधे नहीं हैं..क्या दूसरा बोर्ड अधिक प्रभावशाली था?..
🙏राह...यह कहानी हमें बताती है कि,जो कुछ हमारे पास है उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए..रचनात्मक रहो...अभिनव रहो...अलग और सकारात्मक सोच रखो..लोगों को अच्छी चीजों की तरफ समझदारी से आकर्षित करो...जीवन तुम्हें रोने का एक कारण देता है,तो तुम्हारे पास मुस्कुराने के लिए 10 कारण हैं...!!!! (साभार)✨✨✨✨✨✨✨✨
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी आपसे खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया अपने आसपास सफाई का
ध्यान रखिए..
🌻🍃🍃🍃🌺🍃🌸💿♻
😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..
🍄🌾🌴🍀♦🌲✨🌸🌹
आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
indoreswadesh@gmail.com
🙏फेसबुक,ब्लॉग(विचार विकल्प), पोर्टल(मातृभाषा.कॉम,भारत वार्ता. इन,प्रवक्ता.इन,रफ्तार.कॉम),पेज , Roposo,इंस्टाग्राम और शेयरचेट पर भी उपलब्ध..संदेश पर आपकी
किसी भी सहर्ष प्रतिक्रिया के इंतजार में..)
🍂🌹🍁☘----🔷🌸♦
अनुरोध🙏अपनी व्यस्तता में से
ज़रा-सा वक्त बचाकर एक बार
www.matrubhashaa.com
ज़रूर देखिए..और कृपया रचना/
बहुमूल्य सुझाव भी दीजिए..साथ ही कृपया अपने किसी एक लेखक मित्र का नाम-सम्पर्क न.अवश्य दीजिए..
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*अच्छी भाषा का असर...*
एक अंधा लड़का,बड़े शहर में इमारत की सीढ़ियों पर बैठा था..उसके पैरों के पास एक टोपी रखी थी और पास ही एक बोर्ड रखा था,जिस पर लिखा था-'मैं अंधा हूँ, मेरी मदद करो!' टोपी में केवल कुछ सिक्के थे...वहाँ से गुजरता एक आदमी यह देखकर रुका..उसने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले और टोपी में डाल दिए..फिर उसने उस बोर्ड को पलटकर कुछ शब्द लिखे और वहाँ से चला गया..उसने बोर्ड को पलट दिया था जिससे कि लोग वह पढ़ें जो उसने लिखा था..जल्द ही टोपी भरनी शुरू हो गई..अधिक से अधिक लोग अब उस अंधे लड़के को पैसे दे रहे थे..दोपहर को बोर्ड बदलने वाला आदमी फिर वहाँ आया..वह यह देखने के लिए आया था उसके शब्दों का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?..लड़के ने उसके क़दमों की आहट पहचान ली और पूछा-'आप सुबह मेरे बोर्ड को बदल कर गए थे? आपने बोर्ड पर क्या लिखा था?'उस आदमी ने कहा-मैंने भी सत्य ही लिखा था,मग़र तुम्हारी बात को मैंने एक अलग तरीके से लिखा:-'आज एक खूबसूरत दिन है और मैं इसे नहीं देख सकता...!'
आपको क्या लगता है? पहले वाले शब्द और बाद वाले शब्द, एक ही बात कह रहे थे?...बेशक दोनों संकेत लोगों को बता रहे थे कि लड़का अंधा था...लेकिन पहला संकेत बस इतना बता रहा था कि वह लड़का अंधा है..
जबकि दूसरा संकेत यह बता रहा था कि वे कितने भाग्यशाली हैं कि वे अंधे नहीं हैं..क्या दूसरा बोर्ड अधिक प्रभावशाली था?..
🙏राह...यह कहानी हमें बताती है कि,जो कुछ हमारे पास है उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए..रचनात्मक रहो...अभिनव रहो...अलग और सकारात्मक सोच रखो..लोगों को अच्छी चीजों की तरफ समझदारी से आकर्षित करो...जीवन तुम्हें रोने का एक कारण देता है,तो तुम्हारे पास मुस्कुराने के लिए 10 कारण हैं...!!!! (साभार)✨✨✨✨✨✨✨✨
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी आपसे खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया अपने आसपास सफाई का
ध्यान रखिए..
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😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..
🍄🌾🌴🍀♦🌲✨🌸🌹
आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
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अनुरोध🙏अपनी व्यस्तता में से
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Wednesday 18 January 2017
गलतियां...सुप्रभात...
🌞सुप्रभात माननीय दोस्तों.. 🌞🙏
'गलतियाँ', 'विफलता', 'अपमान',
'निराशा' और 'अस्वीकृति'..ये सभी 'उन्नति' और 'विकास' का ही एक हिस्सा है..कोई भी व्यक्ति इन सभी पाँच चीजों का सामना किए बिना 'जीवन' में कुछ भी 'प्राप्त' नहीं कर सकता..(साभार)
✨✨✨✨✨✨✨✨
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी आपसे खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया अपने आसपास सफाई का ध्यान रखिए..
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आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
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Tuesday 17 January 2017
मन का कचरा..सुप्रभात..
सुप्रभात माननीय मित्रों 🙏🌻🍀
((((मन का कचरा ))))
एक बार एक स्वामी जी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगाई- भिक्षा दे दे माते !!
घर से महिला बाहर आई,उसने उनकी झोली मे भिक्षा डाली और कहा, -
“महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए!”
स्वामीजी बोले, “आज नहीं, कल दूँगा।” दूसरे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज दी – भिक्षा दे दे माते!!
घर की स्त्री ने उस दिन खीर बनाई थी,जिसमें बादाम-पिस्ते भी डाले थे..
वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आई तो स्वामी जी ने कमंडल आगे कर दिया.. स्त्री जब खीर डालने लगी, तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कूड़ा भरा पड़ा है..उसके हाथ ठिठक गए.. बोली-“महाराज ! यह कमंडल तो गन्दा है।”
स्वामीजी बोले-“हाँ, गन्दा तो है,किन्तु खीर इसमें डाल दो।”
स्त्री बोली-“नहीं महाराज, तब तो खीर ख़राब हो जाएगी.. दीजिए,यह कमंडल, में इसे शुद्ध कर लाती हूँ।”
स्वामीजी बोले-मतलब जब यह कमंडल साफ़ हो जाएगा, तभी खीर डालोगी न ?”
स्त्री ने कहा- “जी महाराज !”
स्वामीजी बोले- “मेरा भी यही उपदेश है..मन में जब तक चिन्ताओं का कूड़ा-कचरा और बुरे संस्कारों का गोबर भरा है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा..यदि उपदेशामृत पान करना है, तो प्रथम अपने मन को शुद्ध करना चाहिए,कुसंस्कारों का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति होगी..
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
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घर से महिला बाहर आई,उसने उनकी झोली मे भिक्षा डाली और कहा, -
“महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए!”
स्वामीजी बोले, “आज नहीं, कल दूँगा।” दूसरे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज दी – भिक्षा दे दे माते!!
घर की स्त्री ने उस दिन खीर बनाई थी,जिसमें बादाम-पिस्ते भी डाले थे..
वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आई तो स्वामी जी ने कमंडल आगे कर दिया.. स्त्री जब खीर डालने लगी, तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कूड़ा भरा पड़ा है..उसके हाथ ठिठक गए.. बोली-“महाराज ! यह कमंडल तो गन्दा है।”
स्वामीजी बोले-“हाँ, गन्दा तो है,किन्तु खीर इसमें डाल दो।”
स्त्री बोली-“नहीं महाराज, तब तो खीर ख़राब हो जाएगी.. दीजिए,यह कमंडल, में इसे शुद्ध कर लाती हूँ।”
स्वामीजी बोले-मतलब जब यह कमंडल साफ़ हो जाएगा, तभी खीर डालोगी न ?”
स्त्री ने कहा- “जी महाराज !”
स्वामीजी बोले- “मेरा भी यही उपदेश है..मन में जब तक चिन्ताओं का कूड़ा-कचरा और बुरे संस्कारों का गोबर भरा है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा..यदि उपदेशामृत पान करना है, तो प्रथम अपने मन को शुद्ध करना चाहिए,कुसंस्कारों का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति होगी..
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Monday 16 January 2017
आलेख...
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आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
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Saturday 14 January 2017
पतंग...
🍥माननीय दोस्तों नमस्ते,🙏
आज आसमान में पतंग उड़ाने का दिन है ,तो जीवन में तिल-गुड़ की मिठास की अनुभति का भी..आपको और परिवार के सभी श्रेष्ठीजनों को नए साल के इस प्रथम त्यौहार मकर-सक्रांति पर्व की मंगल कामनाएं..इस भावना के साथ कि,रोशनी के पावन पुंज सूर्य देवता आपके सपनों को पतंग जैसा ऊँचा करके सफलता दें..पर पतंग जैसी ऊँचाई पर जाकर आप ज़मीन को नहीं भूलें..जीतने के लिए सेनारूपी विकल्प में सबको साथ लेकर आगे बढ़ें..सबको यथोचित सहयोग-दान करें..सबके सम्बन्धों की डोर से आपके यश एवं कीर्ति में ईश्वर निश्चित ही उत्तरोत्तर वृद्धि करेगा..आप परिजनों सहित सदैव स्वस्थ रहें..
विनम्र 🙏निवदेन.....
आप सहित पतंग उड़ाने वालों से छोटा-सा निवेदन है कि कृपया आज शाम 5:30 बजे के बाद पतंगबाजी नहीं करें,क्योंकि सुबह भोजन की तलाश में निकले सभी 'पक्षी' शाम को इस समय अपने घर लौटते हैं..आपका इस समय का शौक उनके लिए कई कारणों से परेशानी पैदा करता है..आग्रह है कि, बेजुबान पक्षियों की जिंदगी के लिए इतना जरूर कीजिएगा..
🙏🕧🙏🍀🙏🌷🙏🌻🙏
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🌻🍃🍃🍃🌺🍃🌸💿♻
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आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
indoreswadesh@gmail.com
🙏फेसबुक,ब्लॉग(विचार विकल्प),पोर्टल (मातृभाषा.कॉम,भारत वार्ता. इन,प्रवक्ता.इन, रफ्तार.कॉम),पेज , Roposo,इंस्टाग्राम और
शेयरचेट पर भी उपलब्ध..संदेश पर आपकी
किसी भी सहर्ष प्रतिक्रिया के इंतजार में..)
🍂🌹🍁☘----🔷🌸♦
अनुरोध🙏अपनी व्यस्तता में से
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एक लेखक मित्र का नाम-सम्पर्क न.अवश्य दीजिए..
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आज आसमान में पतंग उड़ाने का दिन है ,तो जीवन में तिल-गुड़ की मिठास की अनुभति का भी..आपको और परिवार के सभी श्रेष्ठीजनों को नए साल के इस प्रथम त्यौहार मकर-सक्रांति पर्व की मंगल कामनाएं..इस भावना के साथ कि,रोशनी के पावन पुंज सूर्य देवता आपके सपनों को पतंग जैसा ऊँचा करके सफलता दें..पर पतंग जैसी ऊँचाई पर जाकर आप ज़मीन को नहीं भूलें..जीतने के लिए सेनारूपी विकल्प में सबको साथ लेकर आगे बढ़ें..सबको यथोचित सहयोग-दान करें..सबके सम्बन्धों की डोर से आपके यश एवं कीर्ति में ईश्वर निश्चित ही उत्तरोत्तर वृद्धि करेगा..आप परिजनों सहित सदैव स्वस्थ रहें..
विनम्र 🙏निवदेन.....
आप सहित पतंग उड़ाने वालों से छोटा-सा निवेदन है कि कृपया आज शाम 5:30 बजे के बाद पतंगबाजी नहीं करें,क्योंकि सुबह भोजन की तलाश में निकले सभी 'पक्षी' शाम को इस समय अपने घर लौटते हैं..आपका इस समय का शौक उनके लिए कई कारणों से परेशानी पैदा करता है..आग्रह है कि, बेजुबान पक्षियों की जिंदगी के लिए इतना जरूर कीजिएगा..
🙏🕧🙏🍀🙏🌷🙏🌻🙏
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Friday 13 January 2017
Wednesday 11 January 2017
Swami vivekanand ji. ..
स्वामी विवेकानंद ji ki prerak jivni..
पूरा नाम – नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त
जन्म – 12 जनवरी 1863
जन्मस्थान – कलकत्ता (पं. बंगाल)
पिता – विश्वनाथ दत्त
माता – भुवनेश्वरी देवी
शिक्षा – 1884 मे बी. ए. उत्तीर्ण
विवाह – विवाह नहीं किया
स्वामी विवेकानंद ka janm naam नरेंद्रनाथ दत्त भारतीय हिंदु सन्यासी और 19 वी शताब्दी के संत रामकृष्ण के मुख्य शिष्य थे। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण दर्शन विदेशो में स्वामी विवेकानंद की वक्तृता के कारण ही पहोचा। भारत में हिंदु धर्म को बढ़ाने में उनकी मुख्य भूमिका रही और भारत को औपनिवेशक बनाने में उनका मुख्य सहयोग रहा। विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी भारत में सफलता पूर्वक चल रहा है। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुवात “मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनों” के साथ करने के लिए जाना जाता है। जो शिकागो विश्व धर्म सम्मलेन में उन्होंने ने हिंदु धर्म की पहचान कराते हुए कहे थे।उनका जन्म कलकत्ता के बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। स्वामीजी का ध्यान बचपन से ही आध्यात्मिकता की और था। उनके गुरु रामकृष्ण का उनपर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, जिनसे उन्होंने जीवन जीने का सही उद्देश जाना, स्वयम की आत्मा को जाना और भगवान की सही परिभाषा को जानकर उनकी सेवा की और सतत अपने दिमाग को को भगवान के ध्यान में लगाये रखा। रामकृष्ण की मृत्यु के पश्च्यात, विवेकानंद ने विस्तृत रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और ब्रिटिश कालीन भारत में लोगो की परिस्थितियों को जाना, उसे समझा। बाद में उन्होंने यूनाइटेड स्टेट की यात्रा जहा उन्होंने 1893 में विश्व धर्म सम्मलेन में भारतीयों के हिंदु धर्म का प्रतिनिधित्व किया। विवेकानंद ने यूरोप, इंग्लैंड और यूनाइटेड स्टेट में हिंदु शास्त्र की 100 से भी अधिक सामाजिक और वैयक्तिक क्लासेस ली और भाषण भी दिए। भारत में विवेकानंद एक देशभक्त संत के नाम से जाने जाते है और उनका जन्मदिन राष्ट्रिय युवा दिन के रूप में मनाया जाता है। Vivekananda ji का जन्म नरेन्द्रनाथ दत्ता (नरेंद्र, नरेन्) के नाम से 12 जनवरी 1863 को मकर संक्रांति के समय उनके पैतृक घर कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ, जो ब्रिटिशकालीन भारत की राजधानी थी। उनका परिवार एक पारंपरिक कायस्थ परिवार था, विवेकानंद के 9 भाई-बहन थे। उनके पिता, विश्वनाथ दत्ता, कलकत्ता हाई कोर्ट के वकील थे। दुर्गाचरण दत्ता जो नरेन्द्र के दादा थे, वे संस्कृत और पारसी के विद्वान थे जिन्होंने 25 साल की उम्र में अपना परिवार और घर छोड़कर एक सन्यासी का जीवन स्वीकार कर लिया था। उनकी माता, भुवनेश्वरी देवी एक देवभक्त गृहिणी थी। स्वामीजी के माता और पिता के अच्छे संस्कारो और अच्छी परवरिश के कारण स्वामीजी के जीवन को एक अच्छा आकार और एक उच्चकोटि की सोच मिली।
युवा दिनों से ही उनमे आध्यात्मिकता के क्षेत्र में रूचि थी, वे हमेशा भगवान की तस्वीरों जैसे शिव, राम और सीता के सामने ध्यान लगाकर साधना करते थे। साधुओ और सन्यासियों की बाते उन्हें हमेशा प्रेरित करती रही। नरेंद्र बचपन से ही बहोत शरारती और कुशल बालक थे, उनके माता पिता को कई बार उन्हें सँभालने और समझने में परेशानी होती थी। उनकी माता हमेशा कहती थी की, “मैंने शिवजी से एक पुत्र की प्रार्थना की थी, और उन्होंने तो मुझे एक शैतान ही दे दिया”।
-जीवन के 11 प्रेरणादायक sandesh..
1871 में, 8 साल की आयु में Swami Vivekananda को ईश्वर चन्द्र विद्यासागर मेट्रोपोलिटन इंस्टिट्यूट में डाला गया, 1877 में जब उनका परिवार रायपुर स्थापित हुआ तब तक नरेंद्र ने उस स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। 1879 में, उनके परिवार के कलकत्ता वापिस आ जाने के बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज की एंट्रेंस परीक्षा में फर्स्ट डिवीज़न लाने वाले वे पहले विद्यार्थी बने। वे विभिन्न विषयो जैसे दर्शन शास्त्र, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञानं, कला और साहित्य के उत्सुक पाठक थे। हिंदु धर्मग्रंथो में भी उनकी बहोत रूचि थी जैसे वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण। नरेंद्र भारतीय पारंपरिक संगीत में निपुण थे, और हमेशा शारीरिक योग, खेल और सभी गतिविधियों में सहभागी होते थे।
नरेंद्र ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी जीवन और यूरोपियन इतिहास की भी पढाई जनरल असेंबली इंस्टिट्यूट से कर रखी थी। 1881 में, उन्होंने ललित कला की परीक्षा पास की, और 1884 में कला स्नातक की upadhi puri ki..
पूरा नाम – नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त
जन्म – 12 जनवरी 1863
जन्मस्थान – कलकत्ता (पं. बंगाल)
पिता – विश्वनाथ दत्त
माता – भुवनेश्वरी देवी
शिक्षा – 1884 मे बी. ए. उत्तीर्ण
विवाह – विवाह नहीं किया
स्वामी विवेकानंद ka janm naam नरेंद्रनाथ दत्त भारतीय हिंदु सन्यासी और 19 वी शताब्दी के संत रामकृष्ण के मुख्य शिष्य थे। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण दर्शन विदेशो में स्वामी विवेकानंद की वक्तृता के कारण ही पहोचा। भारत में हिंदु धर्म को बढ़ाने में उनकी मुख्य भूमिका रही और भारत को औपनिवेशक बनाने में उनका मुख्य सहयोग रहा। विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी भारत में सफलता पूर्वक चल रहा है। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुवात “मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनों” के साथ करने के लिए जाना जाता है। जो शिकागो विश्व धर्म सम्मलेन में उन्होंने ने हिंदु धर्म की पहचान कराते हुए कहे थे।उनका जन्म कलकत्ता के बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। स्वामीजी का ध्यान बचपन से ही आध्यात्मिकता की और था। उनके गुरु रामकृष्ण का उनपर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, जिनसे उन्होंने जीवन जीने का सही उद्देश जाना, स्वयम की आत्मा को जाना और भगवान की सही परिभाषा को जानकर उनकी सेवा की और सतत अपने दिमाग को को भगवान के ध्यान में लगाये रखा। रामकृष्ण की मृत्यु के पश्च्यात, विवेकानंद ने विस्तृत रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और ब्रिटिश कालीन भारत में लोगो की परिस्थितियों को जाना, उसे समझा। बाद में उन्होंने यूनाइटेड स्टेट की यात्रा जहा उन्होंने 1893 में विश्व धर्म सम्मलेन में भारतीयों के हिंदु धर्म का प्रतिनिधित्व किया। विवेकानंद ने यूरोप, इंग्लैंड और यूनाइटेड स्टेट में हिंदु शास्त्र की 100 से भी अधिक सामाजिक और वैयक्तिक क्लासेस ली और भाषण भी दिए। भारत में विवेकानंद एक देशभक्त संत के नाम से जाने जाते है और उनका जन्मदिन राष्ट्रिय युवा दिन के रूप में मनाया जाता है। Vivekananda ji का जन्म नरेन्द्रनाथ दत्ता (नरेंद्र, नरेन्) के नाम से 12 जनवरी 1863 को मकर संक्रांति के समय उनके पैतृक घर कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ, जो ब्रिटिशकालीन भारत की राजधानी थी। उनका परिवार एक पारंपरिक कायस्थ परिवार था, विवेकानंद के 9 भाई-बहन थे। उनके पिता, विश्वनाथ दत्ता, कलकत्ता हाई कोर्ट के वकील थे। दुर्गाचरण दत्ता जो नरेन्द्र के दादा थे, वे संस्कृत और पारसी के विद्वान थे जिन्होंने 25 साल की उम्र में अपना परिवार और घर छोड़कर एक सन्यासी का जीवन स्वीकार कर लिया था। उनकी माता, भुवनेश्वरी देवी एक देवभक्त गृहिणी थी। स्वामीजी के माता और पिता के अच्छे संस्कारो और अच्छी परवरिश के कारण स्वामीजी के जीवन को एक अच्छा आकार और एक उच्चकोटि की सोच मिली।
युवा दिनों से ही उनमे आध्यात्मिकता के क्षेत्र में रूचि थी, वे हमेशा भगवान की तस्वीरों जैसे शिव, राम और सीता के सामने ध्यान लगाकर साधना करते थे। साधुओ और सन्यासियों की बाते उन्हें हमेशा प्रेरित करती रही। नरेंद्र बचपन से ही बहोत शरारती और कुशल बालक थे, उनके माता पिता को कई बार उन्हें सँभालने और समझने में परेशानी होती थी। उनकी माता हमेशा कहती थी की, “मैंने शिवजी से एक पुत्र की प्रार्थना की थी, और उन्होंने तो मुझे एक शैतान ही दे दिया”।
-जीवन के 11 प्रेरणादायक sandesh..
1871 में, 8 साल की आयु में Swami Vivekananda को ईश्वर चन्द्र विद्यासागर मेट्रोपोलिटन इंस्टिट्यूट में डाला गया, 1877 में जब उनका परिवार रायपुर स्थापित हुआ तब तक नरेंद्र ने उस स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। 1879 में, उनके परिवार के कलकत्ता वापिस आ जाने के बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज की एंट्रेंस परीक्षा में फर्स्ट डिवीज़न लाने वाले वे पहले विद्यार्थी बने। वे विभिन्न विषयो जैसे दर्शन शास्त्र, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञानं, कला और साहित्य के उत्सुक पाठक थे। हिंदु धर्मग्रंथो में भी उनकी बहोत रूचि थी जैसे वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण। नरेंद्र भारतीय पारंपरिक संगीत में निपुण थे, और हमेशा शारीरिक योग, खेल और सभी गतिविधियों में सहभागी होते थे।
नरेंद्र ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी जीवन और यूरोपियन इतिहास की भी पढाई जनरल असेंबली इंस्टिट्यूट से कर रखी थी। 1881 में, उन्होंने ललित कला की परीक्षा पास की, और 1884 में कला स्नातक की upadhi puri ki..
Tuesday 10 January 2017
Sunday 8 January 2017
आचरण...सुप्रभात...
आचरण..
"स्वर्ण कितना भी मूल्यवान क्यों ना हो किन्तु सुगंध पुष्प से ही आती है. श्रृंगार के लिए दोनों का ही जीवन में महत्व है..इसी तरह ज्ञान कितना भी मूल्यवान क्यों न हो, किन्तु उसकी सुगंध बिना आचरण के नहीं आ सकती..संग्रह किए हुए ढेर सारे ज्ञान की अपेक्षा
आचरण में उतरा हुआ रत्ती भर भी ज्ञान श्रेष्ठ है...
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी आपसे
खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया अपने
आसपास सफाई का ध्यान रखिए..
🌻🍃🍃🍃🌺🍃🌸💿♻
😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..
🍄🌾🌴🍀♦🌲✨🌸🌹
आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
indoreswadesh@gmail.com
🙏फेसबुक,ब्लॉग(विचार विकल्प), पोर्टल(मातृभाषा.कॉम,भारत वार्ता. इन,प्रवक्ता.इन,रफ्तार.कॉम),पेज , Roposo,इंस्टाग्राम और शेयरचेट पर भी उपलब्ध..संदेश पर आपकी किसी भी सहर्ष प्रतिक्रिया के इंतजार में..) 🍂🌹🍁☘----🔷🌸♦
अनुरोध🙏अपनी व्यस्तता में से
ज़रा-सा वक्त बचाकर एक बार
www.matrubhashaa.com
ज़रूर देखिए..और कृपया रचना/
बहुमूल्य सुझाव भी दीजिए..साथ ही कृपया अपने किसी एक लेखक मित्र का नाम-सम्पर्क न.अवश्य दीजिए..
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Saturday 7 January 2017
रिश्ते...
माननीय दोस्तों,...रविवार की प्रभात पुष्प🌹
रिश्ते..
🎭'रिश्ते’ और ‘रास्ते’ के बीच,
एक अजीब रिश्ता होता है..कभी 'रिश्तों' से
'रास्ते' मिल जाते हैं,
और कभी 'रास्तों' में 'रिश्ते'
बन जाते हैं..इसीलिए चलते रहिए
और रिश्ते निभाते रहिए..
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी
आपसे खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया
अपने आसपास सफाई का ध्यान रखिए..
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😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..
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अजय जैन 'विकल्प'
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रिश्ते..
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कृपया अपने किसी एक लेखक मित्र
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Friday 6 January 2017
Thursday 5 January 2017
आदतें..सुप्रभात...
माननीय दोस्तों ,सुप्रभात...😊🙏
-----संतों ने कहा है कि ,आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते लेकिन अपनी आदतें जरूर बदल सकते हैं..और आपकी आदतें ही आपके जीवन में बदलाव लाकर आपका जीवन बदल देगी...
🙏😊🍀🍃🍁💐🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी आपसे
खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया अपने आसपास
सफाई का ध्यान रखिए..
🌻🍃🍃🍃🌺🍃🌸💿♻
😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..
🍄🌾🌴🍀♦🌲✨🌸🌹
आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
indoreswadesh@gmail.com
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Wednesday 4 January 2017
Tuesday 3 January 2017
Monday 2 January 2017
जिंदगी..
माननीय दोस्तों ,सुप्रभात...😊🙏
------ जिन्दगी किसी से नफरत करने या दुखी रहने के लिए बहुत छोटी है,आप हमेशा परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं कर सकते..लेकिन आप खुद को जरूर नियंत्रित कर सकते हैं.. क्योंकि हम खुद अपने भाग्य के निर्माता हैं..
🙏😊🍀🍃🍁🌸
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आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
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Sunday 1 January 2017
समझदारी...सुप्रभात..
🌞आदरणीय मित्रों ,सुप्रभात..
समझदारी, जवाबदारी,
वफ़ादारी और ईमानदारी को
मत छोड़िए...
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🌻🌻🌻🍁🌻🌻🍁🌻🍁
नववर्ष...
आदरणीय मित्रों /स्नेहीजनों को सादर प्रणाम..
2017 की छोटी-सी बात...🙏
'समय' किसी के लिए न रुका था,न रुका है और न ही कभी रूकेगा..जी हाँ ,देखते ही देखते 2016 निकल गया यानि नया साल 2017 आ ही गया..और ऐसे ही इसके भी दिन बदलते जाएँगे..जिससे हमें गतिमान रहने और समय के साथ चलने की बात सीखनी है..💐गए समय के सबके साथ मेरे और मेरे साथ सबके कई अनुभव होंगे..इंसान हूँ ,इसलिए पक्की बात है कि,मैं सबके लिए सहयोगी नहीं बन पाया होऊंगा..किसी की अधिक अपेक्षा के चलते उपेक्षा भी हुई होगी,इसलिए सबसे माफ़ी चाहता हूँ..जिन्हें भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से मेरे जाने-अनजाने व्यवहार से कष्ट पहुंचा है,उनसे भी यही अनुरोध कि कृपया मुझे अपना छोटा मानकर क्षमा करें..यदि आप जिंदगी के ज्वार-गेहूँ का गणित जानते/समझते हैं तो महसूस कीजिएगा कि कई बार बिना बोले भी काम ही आया..🎈🎊अब जिन्दगी का एक वर्ष कम हो गया है तो पुरानी बातें पीछे ही छोड़ दीजिए..नई उमंग से अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने में फ़िर पूरी ताकत के साथ जुटिए..सबकी सब ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती हैं ,इसलिए गलती पर माफ कीजिए और कुछ अच्छा लगा हो तो याद भी कीजिए..निकल गए साल के लिए उनका भी आभारी हूँ ,जिनके सहयोग/असहयोग से मजबूत बना..कृतज्ञ हूँ उनका ,जो मेरे सुख-दुःख में साथ रहे ,और सबसे ज्यादा शुक्रिया तो मेरे जनक भगवान का,जिन्होंने हर हालत में मुझे हिम्मत दी..सबके प्रेम व सहयोग से बीते वर्ष के लिए सब विकल्पों और परमात्मा को नमन करते हुए आभार मानता हूँ..सबका कल्याण हो और स्नेह भी यथावत बना रहे..प्रभु आपको नए साल में सुख-शांति, शक्ति, सम्पति, स्वरुप,संयम,सफलता,समृध्दि,संस्कार और स्वास्थ्य दे..आपको और परिवार को भी हार्दिक शुभकामनाएं..तारीख बदलने के इस नवपल पर नया साल हमारे इसी अहसास-विश्वास को और बढ़ाए,यही इच्छा-यही शुभकामनाएँ..🌷🙏🏻🌷😊🍀🍃🍁🌸
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अजय जैन 'विकल्प'
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2017 की छोटी-सी बात...🙏
'समय' किसी के लिए न रुका था,न रुका है और न ही कभी रूकेगा..जी हाँ ,देखते ही देखते 2016 निकल गया यानि नया साल 2017 आ ही गया..और ऐसे ही इसके भी दिन बदलते जाएँगे..जिससे हमें गतिमान रहने और समय के साथ चलने की बात सीखनी है..💐गए समय के सबके साथ मेरे और मेरे साथ सबके कई अनुभव होंगे..इंसान हूँ ,इसलिए पक्की बात है कि,मैं सबके लिए सहयोगी नहीं बन पाया होऊंगा..किसी की अधिक अपेक्षा के चलते उपेक्षा भी हुई होगी,इसलिए सबसे माफ़ी चाहता हूँ..जिन्हें भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से मेरे जाने-अनजाने व्यवहार से कष्ट पहुंचा है,उनसे भी यही अनुरोध कि कृपया मुझे अपना छोटा मानकर क्षमा करें..यदि आप जिंदगी के ज्वार-गेहूँ का गणित जानते/समझते हैं तो महसूस कीजिएगा कि कई बार बिना बोले भी काम ही आया..🎈🎊अब जिन्दगी का एक वर्ष कम हो गया है तो पुरानी बातें पीछे ही छोड़ दीजिए..नई उमंग से अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने में फ़िर पूरी ताकत के साथ जुटिए..सबकी सब ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती हैं ,इसलिए गलती पर माफ कीजिए और कुछ अच्छा लगा हो तो याद भी कीजिए..निकल गए साल के लिए उनका भी आभारी हूँ ,जिनके सहयोग/असहयोग से मजबूत बना..कृतज्ञ हूँ उनका ,जो मेरे सुख-दुःख में साथ रहे ,और सबसे ज्यादा शुक्रिया तो मेरे जनक भगवान का,जिन्होंने हर हालत में मुझे हिम्मत दी..सबके प्रेम व सहयोग से बीते वर्ष के लिए सब विकल्पों और परमात्मा को नमन करते हुए आभार मानता हूँ..सबका कल्याण हो और स्नेह भी यथावत बना रहे..प्रभु आपको नए साल में सुख-शांति, शक्ति, सम्पति, स्वरुप,संयम,सफलता,समृध्दि,संस्कार और स्वास्थ्य दे..आपको और परिवार को भी हार्दिक शुभकामनाएं..तारीख बदलने के इस नवपल पर नया साल हमारे इसी अहसास-विश्वास को और बढ़ाए,यही इच्छा-यही शुभकामनाएँ..🌷🙏🏻🌷😊🍀🍃🍁🌸
🐚 हमेशा खुश रहिए, ताकि दूसरे भी आपसे खुश हो जाएँ..निवेदन🙏कृपया अपने आसपास सफाई का
ध्यान रखिए..
🌻🍃🍃🍃🌺🍃🌸💿♻
😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..
🍄🌾🌴🍀♦🌲✨🌸🌹
आपका शुभचिंतक
अजय जैन 'विकल्प'
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(म.प्र.)] ajayjainvikalp@gmail.com
indoreswadesh@gmail.com
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Roposo,इंस्टाग्राम और शेयरचेट पर भी उपलब्ध..संदेश पर आपकी किसी भी सहर्ष प्रतिक्रिया के इंतजार में.. )
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अनुरोध🙏अपनी व्यस्तता में से
ज़रा-सा वक्त बचाकर एक बार
www.matrubhashaa.com
ज़रूर देखिए..और कृपया रचना/
बहुमूल्य सुझाव भी दीजिए..साथ ही कृपया अपने किसी एक लेखक मित्र का नाम-सम्पर्क न.अवश्य दीजिए..
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