Monday 28 November 2016

नम्रता..

सुसंध्या दोस्तों
🌹दिन
 🙏बेहतरीन बने..😊
नम्रता..
सिपाहियों की एक टोली युद्ध क्षेत्र में में काम पर लगी थी..वह एक भारी-भरकम लट्ठे को उठाने का प्रयास कर रही थी, ताकि उसकी मदद से किले की दीवार गिराई जा सके..बगल में एक नायक खड़ा था..वह सिपाहियों से दूर खड़ा उन्हें आदेश दे रहा था कि ऐसे नहीं वैसे उठाए,जरा और जोर लगाओ..इतने में अनजान घुड़सवार  वहां से गुज़रा.. उसने नायक से पूछा, ‘क्या तुम्हें नहीं लगता कि यदि तुम भी उनकी मदद करो तो इस लट्ठ को उठाना आसान हो जाएगा?.. क्यों नहीं तुम भी इन लोगों की मदद करते हो?’..नायक ने कहा, ‘यह मेरी जिम्मेदारी नहीं है..मैं एक नायक हूं.. लट्ठ को उठाना उनका काम है..मेरा काम यह देखना है कि वे इसे ठीक से उठा रहे हैं या नहीं ’..
यह सुनकर वह व्यक्ति घोड़े से उतरा और उन सिपाहियों की टोली के साथ मिल कर लट्ठ उठाने में जुट गया..एक अतिरिक्त व्यक्ति की ताकत जुड़ जाने से लट्ठ आसानी से उठा लिया गया..काम पूरा हो जाने के बाद अनजान व्यक्ति घोड़े पर चढ़कर आगे बढ़ गया..लेकिन जाते-जाते उसने नायक की ओर मुड़कर कहा, ‘अगली बार, जब तुम्हें किसी लट्ठे को उठाने की ज़रूरत पड़े तो अपने सेनापति को बुला लेना..’ तब जाकर सिपाहियों को बोध हुआ कि वह अनजान व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि उनका सेनापति यानी जॉर्ज वॉशिंगटन था..यही जॉर्ज वॉशिंगटन बाद में अमरीका के प्रथम राष्ट्रपति बने..
🌸यह कहानी सच्ची नम्रता की प्रतीक है..कई लोग ये सोचते हैं कि वे इतने महान हैं कि घर-गृहस्थी के दैनिक कार्य, श्रमिक वाले कार्य या अपने ऑफिस के पर्दे के पीछे के छोटे-छोटे कार्य नहीं कर सकते हैं.. हम अपने आपको ऊंचा और महत्वपूर्ण समझते हैं..पर यह रोचक है कि हम सचमुच के महान व्यक्तियों के जीवन में अविश्वसनीय नम्रता पाते हैं जिससे वे निम्न श्रमिकों के साथ कार्य करने को तत्पर रहते हैं..
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(इस संदेश स -----------------------
😊जीवन को 'चंदन' बनाइए..
आपका हर दिन अच्छा ही बीतेगा..🍄🌾🌴🍀♦🌲
आपका शुभचिंतक 🙏
अजय जैन ' विकल्प '
[ब्लॉगर, लेखक &चीफ रिपोर्टर -स्वदेश समाचार पत्र, इंदौर(मध्यप्रदेश)] ajayjainvikalp@gmail.com
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